राम चरित्र – भगवान श्रीराम
भगवान श्रीराम, हिन्दू धर्म के एक प्रमुख देवता और आदर्श मानव हैं। उनका चरित्र महाकाव्य रामायण के माध्यम से लोगों के दिलों में सदैव बसा हुआ है। राम ने अपने जीवन के माध्यम से सत्य, न्याय, और धर्म की प्रेरणा दी है, और उनकी कथाएं लोगों को एक उदाहरणप्रद जीवन जीने के लिए प्रेरित करती हैं।
### श्रीराम का परिचय
भगवान श्रीराम का जन्म त्रेता युग में हुआ था, और वे आयोध्या के राजा दशरथ और कुशल्या के पुत्र थे। वे राम, लक्ष्मण, भरत, और शत्रुघ्न के चार भाईयों में सबसे बड़े थे। राम ने बचपन से ही धर्म, नैतिकता, और राजनीति के क्षेत्र में अपनी शिक्षा पूरी की।
### बाल्यकांड
राम का बाल्यकांड उनके प्रमुख लीला का अंश है, जिसमें वह अपने गुरु विश्वामित्र के साथ गए तीर्थ यात्रा का वर्णन है। वह अहिल्या मोक्ष, ताड़का वध, और विश्वामित्र द्वारा बोली गई गायत्री मंत्र की उपदेश लीते हैं।
### अयोध्याकांड
राम का जीवन रुचि से भरपूर है, लेकिन उसकी प्रमुख कथा अयोध्याकांड में है, जिसमें उनके पिता राजा दशरथ के द्वारा राम का वनवास भेजा जाता है। दशरथ के बच्चों में राजा का विभाजन करते समय राम को वनवास भेजा जाता है, ताकि राजा की वचनशृंगारी कई दशरथ की दूसरी पत्नी कैकेयी द्वारा दी गई वर का पालन किया जा सके।
राम के पतिव्रता प्रेमिका सीता और उनके भगवान शिव के भक्त भूतपुर्व राजकुमार हनुमान के साथ उनका वनवास बहुत ही आत्मविश्वासपूर्ण और नीति निर्माणकारी रहा। अयोध्याकांड में राम के न्यायप्रिय और धार्मिक स्वभाव का चित्रण किया गया है, जिसने उन्हें एक आदर्श पुरुष के रूप में प्रस्तुत किया है।
### अरण्यकांड
राम, सीता, और लक्ष्मण का वनवास उनकी विशेषता थी, जो अरण्यकांड में दर्शाई गई है। राम के साथ राजमहिषी भगवती सीता और उनके परम भक्त हनुमान के साथ यह अद्भुत कहान