श्रीराम जन्मोत्सव, जिसे राम नवमी भी कहा जाता है, हिन्दू कैलेंडर के चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम, आयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र, का अवतारण हुआ था। श्रीराम, जो भगवान विष्णु के सेतुपति थे, ने अधर्म का समर्थन करने वाले राक्षस राजा रावण का वध कर महायुद्ध में विजय प्राप्त की थीं।
रामायण, महाकाव्य वाल्मीकि जी के द्वारा रचित, श्रीराम के जीवन का एक महत्वपूर्ण किस्सा है। राम-सीता-लक्ष्मण की कथा, भक्तों को धर्म और न्याय के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती है। श्रीराम के आदर्श जीवन ने उन्हें भगवान का अवतार माना जाता है और उनका जन्मोत्सव विशेष उत्सव होता है।
राम नवमी के दिन मंदिरों में भगवान राम की पूजा-अर्चना होती है और भक्तगण रामायण की पाठयात्रा करते हैं। धार्मिक कार्यक्रम, कथा-कीर्तन, और रामलीला आयोजित की जाती हैं जिनमें लोग आत्मर्पिति और भक्ति के साथ श्रीराम का जन्म जयंती मनाते हैं।
श्रीराम के जन्मोत्सव के दिन, भगवान की आराधना और भक्ति में लोग एक साथ आते हैं, जिससे सामाजिक और धार्मिक एकता महसूस होती है। यह त्योहार हिन्दू समाज में बड़े आनंद से मनाया जाता है और भगवान राम की कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति का आशीर्वाद देने का एक अद्भुत अवसर होता है।